बिहारे बिहारी की बिहार वाटिका में चाहे,
सूर की कुटी में अड़ आसन जमाइए।
केशव की कुंज में किलोल केलि कीजिए या,
तुलसी के मानस में डुबकी लगाइए।
देव की दरी में दुर दिव्यता निहारिये या,
भूषण की सेना के सिपाही बन जाइये।
अन्य भाषा की सेना के मिलेगा मन माना सुख,
हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए।
(रचनाकार- पं0 हरिशंकर शर्मा)
सूर की कुटी में अड़ आसन जमाइए।
केशव की कुंज में किलोल केलि कीजिए या,
तुलसी के मानस में डुबकी लगाइए।
देव की दरी में दुर दिव्यता निहारिये या,
भूषण की सेना के सिपाही बन जाइये।
अन्य भाषा की सेना के मिलेगा मन माना सुख,
हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए।
(रचनाकार- पं0 हरिशंकर शर्मा)
17 टिप्पणियां:
अन्य भाषा की सेना के मिलेगा मन माना सुख,
हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए।
बहुत सुंदर आव्हान ....... अच्छी लगी यह रचना
हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए।
beautifully written.
iss suder rachna ko padhwae ke liye bahut bahut dhanaywaad
aabhar
maanvi ji aap word verification hata lijiye comment karne me aashani hogi
आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
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आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ "टेक टब" (Tek Tub) पर.
यदि फ़िर भी कोई समस्या हो तो यह लेख देखें -
ओम जी, मैनें टिप्पणी से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है। अब आप और दूसरे ब्लागर आसानी से मेरे ब्लाग पर टिप्पणियां कर सकते हैं।
अच्छी लगी यह रचना
ये कविता हमने पहले भी सुनी थी किन्तु इसके कवि का नाम नहीं पता था , आपने बताया -धन्यवाद . और ऐसे ही लिखते रहें शुभकामनायें
अतिसुन्दर
अन्य भाषा भाषियो मिलेगा मन माना सुख हिन्दी के हिन्डोले मेँ जरा तो बैठ जाईये।
यह सही लाईन है।
Pratham Shabd Bhiaro Hai
बहुत सुंदर।। बहुत-बहुत आभार
आपकी कविता के प्रथम लाइन में बिहारे की जगह बिहरै होगा
Pfitlt
अति सुन्दर । इस कविता से हिंदी साहित्य की विशालता का आभास होता है । ईश्वर करे हिंदी इसी प्रकार फलती फूलती रहे।मैंने संभवतः इस कविता को 55-60 साल पहले पढ़ा था।
मेरी जानकारी के अनुसार , रचनाकार पं हरिशंकर शर्मा नहीं,बल्कि डा शिशुपाल सिंह शिशु है । इस मत भिन्नता का मिलान करना ठीक रहेगा।
क्षेत्रपाल शर्मा
7983654429
मेरी जानकारी के अनुसार
इस कविता में बिहारे की जगह बिहरो होगा
अंतिम पंक्ति
ओ भिन्न भिन्न भाषा भाषियों मिलेगा मनमाना मोद,
आज हिन्दी के हिंडोले पर जरा तो झूल जाइये ।।
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