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गुरुवार, 27 जनवरी 2011

हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए

बिहारे बिहारी की बिहार वाटिका में चाहे,
सूर की कुटी में अड़ आसन जमाइए।

केशव की कुंज में किलोल केलि कीजिए या,
तुलसी के मानस में डुबकी लगाइए।

देव की दरी में दुर दिव्‍यता निहारिये या,
भूषण की सेना के सिपाही बन जाइये।

अन्‍य भाषा की सेना के मिलेगा मन माना सुख,
हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए।

(रचनाकार- पं0 हरिशंकर शर्मा)

16 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अन्‍य भाषा की सेना के मिलेगा मन माना सुख,
हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए।

बहुत सुंदर आव्हान ....... अच्छी लगी यह रचना

Kunwar Kusumesh ने कहा…

हिंदी के हिंडोले में जरा तो बैठ जाइए।
beautifully written.

OM KASHYAP ने कहा…

iss suder rachna ko padhwae ke liye bahut bahut dhanaywaad
aabhar

OM KASHYAP ने कहा…

maanvi ji aap word verification hata lijiye comment karne me aashani hogi

OM KASHYAP ने कहा…

आपका लेख पढ़कर हम और अन्य ब्लॉगर्स बार-बार तारीफ़ करना चाहेंगे पर ये वर्ड वेरिफिकेशन (Word Verification) बीच में दीवार बन जाता है.
आप यदि इसे कृपा करके हटा दें, तो हमारे लिए आपकी तारीफ़ करना आसान हो जायेगा.
इसके लिए आप अपने ब्लॉग के डैशबोर्ड (dashboard) में जाएँ, फ़िर settings, फ़िर comments, फ़िर { Show word verification for comments? } नीचे से तीसरा प्रश्न है ,
उसमें 'yes' पर tick है, उसे आप 'no' कर दें और नीचे का लाल बटन 'save settings' क्लिक कर दें. बस काम हो गया.
आप भी न, एकदम्मे स्मार्ट हो.
और भी खेल-तमाशे सीखें सिर्फ़ "टेक टब" (Tek Tub) पर.
यदि फ़िर भी कोई समस्या हो तो यह लेख देखें -

Manvi ने कहा…

ओम जी, मैनें टिप्‍पणी से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है। अब आप और दूसरे ब्‍लागर आसानी से मेरे ब्‍लाग पर टिप्‍पणियां कर सकते हैं।

संजय भास्‍कर ने कहा…

अच्छी लगी यह रचना

Gopal Sharma ने कहा…

ये कविता हमने पहले भी सुनी थी किन्तु इसके कवि का नाम नहीं पता था , आपने बताया -धन्यवाद . और ऐसे ही लिखते रहें शुभकामनायें

Unknown ने कहा…

अतिसुन्दर

Unknown ने कहा…

अन्य भाषा भाषियो मिलेगा मन माना सुख हिन्दी के हिन्डोले मेँ जरा तो बैठ जाईये।
यह सही लाईन है।

Unknown ने कहा…

Pratham Shabd Bhiaro Hai

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर।। बहुत-बहुत आभार

Unknown ने कहा…

आपकी कविता के प्रथम लाइन में बिहारे की जगह बिहरै होगा

Unknown ने कहा…

Pfitlt

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर । इस कविता से हिंदी साहित्य की विशालता का आभास होता है । ईश्वर करे हिंदी इसी प्रकार फलती फूलती रहे।मैंने संभवतः इस कविता को 55-60 साल पहले पढ़ा था।

kshetrapal Sharma ने कहा…

मेरी जानकारी के अनुसार , रचनाकार पं हरिशंकर शर्मा नहीं,बल्कि डा शिशुपाल सिंह शिशु है । इस मत भिन्नता का मिलान करना ठीक रहेगा।
क्षेत्रपाल शर्मा
7983654429