प्रशंसक

मंगलवार, 26 जनवरी 2010

वर्ष २००९ में हिंदी साहित्य: एक नज़र में.

वर्ष २००९ हिंदी साहित्य के लिए मिला जुला रहा। कुछ वरिष्ठ साहित्यकारों की रचनायें आई तो कुछ नए रचनाकारों ने भी साहित्य जगत में अपनी उपस्थिति का एहसास कराया। कुल मिलकर कोई एक रचना ऐसी नहीं रही जिसकी चर्चा वर्ष भर साहित्य के गलियारों में हुई हो। फिर भी कुछ सराहनीय रचनायें विभिन्न विधाओं में लिखी गयीं जिनमें से प्रमुख रचनाओं का नीचे उल्लेख किया जा रहा है.
आलोचना
आलोचना की विधा में जो पुस्तकें २००९ में आई और चर्चित हुईं उनमें मुख्या हैं- 11
1- बालकृष्ण भट्ट और आधुनिक हिंदी आलोचना का आरंभ-
अभिषेक रोशन द्वारा रचित इस पुस्तक में हिंदी आलोचना के इतिहास को अपने समग्र रूप में प्रस्तुत करने का यथासंभव प्र्रयास हुआ है।
२- उपन्यास और वर्चस्व की सत्ता -
लखनऊ के वीरेंद्र यादव द्वारा लिखित इस पुस्तक को पढने से ताजगी का एहसास होता है।
३- साधारण की प्रतिज्ञा, इतिहास:संयोग और सार्थकता, हिंदी कहानी: रचना और परिस्थिति"-
स्व० सुरेन्द्र चौधरी की तीन किताबों की सीरिज़ जो अंतिका प्रकाशन से प्रकाशित है। चौधरी जी की अधिकांश लेखन सामग्री बिखरी हुई है। इस लिहाज़ से यह पुस्तक-त्रयी बहुत महत्वपूर्ण है।
उपन्यास

१- जोखिम-
वरिष्ठ कथाकार हृदयेश का आत्मकथात्मक उपन्यास जोखिम काफी चर्चित रहा है।
२- उधर के लोग-
अजय नावरिया द्वारा लिखित इस उपन्यास में मिटटी की सोंधी महक की अनुभूति होती है।
३- मिला जुला मन-
वरिष्ठ लेखिका मृदुला गर्ग के इस उपन्यास में हमेशा की तरह मध्यवर्गीय जीवन की झांकी दिखाई देती है।
४- ग्लोबल गाँव के देवता-
झारखण्ड के लेखर रणेंद्र ने अपने इस उपन्यास में आदिवासियों के शोषण और दमन का जो चित्र खींचा है वोह वाकई सराहनीय है।
५- दुक्खं सुक्क्हम
हिंदी की एक और वरिष्ठ लेखिका ममता कालिया का यह उपन्यास भी वर्ष २००९ की पठनीय कृतियों में है।
६- मुक्तिबोध-
जाने मने लेखक विजय का यह उपन्यास अपने अन्दर तमाम ज्वलंत मुद्दों को समेटे हुए है। किन्तु यदि यह इस उपन्यास की विशेषता है तो यही इसकी कमजोरी भी है।

कहानी

१- सौरी की कहानियां
नवीन नैथानी का यह कहानी संग्रह रोमांटिकता, रहस्य और स्थानीय रंग का परिपूर्ण है।
२- अपने अपने सपने
जाने माने हास्य व्यंग्य के लेखक घनश्याम अग्रवाल का यह लघुकथा संग्रह सराहनीय है।
३- नया ब्राह्मण-
दलित लेखक सूरजपाल चौहान कइ इस कहानी संग्रह ने भइ लोगों का ध्यान अपनी और खींचा है।
इसके अतिरिक्त 'वसुधा' पत्रिका के कहानी पर आधारित दो विशेषांक और 'नया ज्ञानोदय' के कहानी विशेषांक भी उल्लेखनीय हैं।

कविता

१- चाँद में अटकी पतंग-
राकेश रंजन के इस कविता संग्रह में भदेस भाषा का बहुत रचनात्मक प्रयोग हुआ है।
२- एक दुनिया है असंख्य -
सुन्दर चन्द् ठाकुर द्वारा रचित यह कविता संग्रह वर्ष २००९ में चर्चित रहा।
३- मरते हैं पर शहंशाह सो रहे थे -
उमाशंकर चौधरी के इस संग्रह में मिथिलांचल के लोकरंग और वास्तविकता की झलक मिलती है।
४- अस्पताल के बहआर टेलीफोन -
युवा कवी पवन कारन की यह कृति भी पठनीय है।
५- बोलती चुप्पी -
कवयित्री सुधा उपाध्याय का यह पहला कविता संग्रह है। इसमें एक ही मानवीय रिश्ते को अलग अलग नज़रिए से देखने की कोशिश की गयी है।

उपरोक्त विधाओं के अतिरिक्त यात्रा वृत्त में जे पी भटनागर की कृति 'सिन्धु के तट से' उल्लेखनीय है जिसमे लेखक की गाजीआबाद से सिन्धु नदी के तक की स्कूटर से कठिन यात्रा के संस्मरण हैं।
पुष्पराज द्वारा लिखित "नंदीग्राम डायरी" भी उल्लेखनीय है। हालांकि बहुत से लोग लेखक की स्थापनाओं से सहमत नहीं होंगे लेकिन घटनास्थल पर जोखिम उठाकर लिखी गयी इस कृति को अनदेखा नहीं किया जा सकता।





1 टिप्पणी:

Mithilesh dubey ने कहा…

बहुत बढिया लगा, जानकारीं हमारे तक पहुचाने के लिए आभार ।